जीवन के लिए काम कितना जरुरी है अब पता चलने लगा है | कई अवसरों पर हम देखते है की बच्चे सबसे कम परेशां होते है क्योंकि हर दम काम करते बो बिना सर पैर के काम करते मतलब हर दम ब्यस्त रहते है और मस्त रहते है | हम फिर अपने कॉलेज मे पहुचते है और फिर हम परेशां होने लगते है क्योंकि हम कुछ सपने बुनने लगते उन्हें पाने के कोशिश करने लगते है पर हम हमेशा सपनो और हकीकत मे काफी अंतर पाते है और कस्ट महसूस करते है शायद बड़े लोग सबसे ज्यादा परेशां होते है इसका कारन ये है की उनके पास कोई कम नहीं होता बो हमेशा बोर होते है उनके पास दो चार कम रह जाते जैसे सब्जी लाना या फिर किसी पूरानी बस्तुओ से कुछ ऐसा खोज लेना जो उन्हें लगता है काफी उपयोगी है उसमे अपने गोरवशाली अतीत को खोजना उसमे कुछ ऐसा खोजना जिससे उनकी बुध्धिमात्ता का प्रकट हो जाये कुछ बाते हमें बिना सर पैर के लगेगी तो कई जगह हमें लगता है हम इनसे कई कदम आगे है पर कदम का क्या जो आज आगे है वो कल पीछे हो सकता है
आजकल जो फिल्म टी.वी आदि का प्रचार हो रहा है उसका कारन शायद यही है की हमारे पास समय बिताने के लिए कुछ काम नहीं होता हम इन्टरनेट का का विकाश करते है हम sach मे नहीं judte हम हमेशा apno से और अपने aap से tak door रहते है
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