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Tuesday, March 15, 2011

नशा मुक्ति से नशा प्राप्ति तक

 आज  मेरे मित्र सत्यावेंद्र सिंह ने  बड़ा कार्यक्रम आयोजित करवाया था जिसमे धर्म के साथ इक बात और थी उसमे नशा मुक्ति का भी प्रण लिया गया और प्रण करने बालो को लाल रंग की पट्टी गले मे डालकर कसम खिलाई गई के बे अब दोबारा    नशा नहीं करेंगे  काफी अच्छा प्रयाश  रहा  हालंकि इस कार्यक्रम के जो सूत्रधार थे उनके नाम जब जय कारे लगाये गए तो मेरे साथ कई लोगो को  आश्चर्य हुआ की भगवन और इंशान के बीच मे इक इन्सान भगवन बनकर क्यों  आ गया   उसी संघटन के कई लोगो ने बाद मे इन्ही सब चीजो का खंडन कर कहा की गुरूजी सभी के है और सब मे बसते है पर कई लोगो क बात हज़म नहीं हो पाई  खेर कार्यक्रम सफल कहा जा सकता है क्योंकि कई लोगो ने नशा मुक्ति का प्रण लिया है   हालंकि इक नशा पिलया जा रहा था   यह नशा फिर   धर्म का था   नए धर्म और नए इश्वर का था कभी भी भगवन मानव को कस्ट नहीं देना चाहता है पर कस्ट तो होना ही है आजकल  गाव मे  कस्ट निबारण का इक आन्दोलन सा  चल पड़ा है कई  तरह के भगवन देवता देवदूत और संत पैदा हो गए है कई के बारे मे हम कई ता रह की शर्मनाक और   शर्मनाक घटनायो को सुनते है देखते तो मन मे उ नके प्रति कुछ संकाए  भी पैदा होती है   कही  कही तो इनका उद्देश्य राजनीतिक तक हो जाता है खेर  धोडे पैसे खर्च करवाकर ये तथाकथित  संत नशा मुक्ति और कस्ट निबारण का नशा देकर कुछ भी  गलत नहीं करते है   क्या मे सच कह रहा हु

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