Pages

Saturday, September 15, 2012

अहमदाबाद का चार रास्ता



                 अहमदाबाद का चार  रास्ता 


                          लगभग दो माह पूर्व मेरी पोस्टिंग अहमदाबाद मे ,हुई थी मेरे ऑफिस का पता था ,अंकुर चार रास्ता  ,अहमदाबाद मे ,चोराहे को चार रास्ता कहते है ,।विजय .पल्लव ,भुयंग्देव ,आदि कई चार रस्ते यहाँ है ।इक जगह बोपल (bopal ) भी है जिसे मै  शुरुआत मे  मध्य -प्रदेश की राजधानी समझकर सोचता था की चलो यहाँ से भोपाल के लिए सीधी बस तो चलती है । 

                   यहाँ पर कई चेम्बर भी है हमारा ऑफिस भी जीवाभाई चेम्बर मे  है ,चिमन  भाई ,धनजी भाई और कई गुजराती  धन कुबेरों, साहुकारो के नाम के चेम्बर यहाँ पर है ।
  
                  बोलचाल मे मे  दो-तीन  शब्द  काफी प्रयोग होते है ,बरोबर जिसका मतलब मेरे अनुभव के अनुसार ठीक   होता है ।किसी से कुछ कहो तो तुरंत बोलेगा बरोबर । हर पुरुष यहाँ भाई या मोटा भाई (बड़ा )होता है और हर स्त्री  बहिन जिसे लहजे  मे बेन  कहते है । मध्य -प्रदेश मे इंदौर मालवा मे भाई  भिया और बुंदेलखंड मे  बड्डे बन जाता है ।

         लगभग दो माह के बाद अहमदाबाद से जा रहा हूँ ,हमेशा की तरह यहाँ कुछ नए शब्द सीखे ,कुछ नए चेहरे, नामो  ,जगहों से परिचय हुआ । सरकारी ऑफिस की पुराने ऑफिसरो की कहानिया और अनुभव सुने ।कई तरह का इतिहास जाना   ।ये भी पक्का है की जिन लोगो से मै  मिला उन लोगो ने भी मेरा इतिहास और मेरी कहानिया रची  होंगी जो की ऑफिस कल्चर का  इतिहास बन जायेगा ।

        जिंदगी मे अचानक कई नाम,जगह ,व्यक्ति आते है और वो हमारी जिंदगी का सबसे चर्चित हिस्सा बन जाते है ।इंदौर मे  रीगल  चोराहा ,फिर दिल्ली मे  मुखर्जीनगर, शास्त्री भवन नई दिल्ली से लगभग तीस साल का रिश्ता ,गुडगाव हरियाणा के  मानेसर की जिन्दगी भर की यादे ।

और अंत मे  अहमदाबाद चार रस्ते के बाद पता नहीं अगली मंजिल जिन्दगी का कोन   सा चार रास्ता हो 

धन्यवाद अहमदाबाद !!!!!
    
    

No comments:

Post a Comment