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Wednesday, August 29, 2012

फेसबुक पर एटीट्युट

फेसबुक पर  एटीट्युट
 
  अभी अभी इक नया ट्रेन्ड आया आया  है  फेसबुक पर ,आम तोर पर हम  हजारो दोस्त बनाते है .मगर सेट्टिंग मे जाकर  फ़्रेन्ड लिस्ट चेट्टिंग आदि को ऑफ या हाइड कर कर  देते है ,कई बार तो ऐसे हादसे  भी हुए की जैसे  ही चेट्टिंग मे आया की some one is typing .........कई लोग लोग ऑफ लाइन हो  गए .मगर  कहते है न की "संचार (communication ) को रोका नहीं जा सकता "  ...........  फेसबुक ने भी विकल्प दिया की "some one sees you as offline but you can still send  message "

Thursday, August 23, 2012

न पेड़ रहे न गोरैया

न पेड़ रहे न गोरैया 

       बचपन से ही काँटी हटा दमोह ,और सागर आना -जाना लगा ही रहता था जब हटा से काँटी जाता तो रस्ते के पेड़ गिनता जाता था  गाव शहर के लोग पेडो से जुडी कई कहानिया भी सुनते थे . रस्ते मे  कोई परिचित मिल जाये तो पल दो पल पेड़ के नीचे ठहरकर हाल चाल भी जान लेते थे 

बड़े अस्पताल से काँटी तरफ जाने पर हमारे पुरखो की तरह कई पुराने पेड़ खड़े रहते थे पुल के पास के पेड़ देखकर घर के पास हटा आने का अहसास होने लगता था 
   
इस बार राखी पर घर गया तो देखा की जिन बड़े बड़े पेड़ो  को मैं लगभग 25 साल से देखता आ रहा था अचानक गायब हो गए ,बाद मे  पता चला की हाई वे बन रहा है इस लिए उनको काट  दिया गया .जिन लोगो  के पास कार  मोटर साइकिल नहीं है उनको छाव देने बाले पेड़ अब नहीं रहे .हटा शहर के अधिकांश लोग सुबह -सुबह सैर पर यही आते थे .अब शहर मे  सैर सपाटे के लिए जगह ही नहीं रही .गंगा झिरिया अब कालोनी बन चुकी है .
   
हटा शहर मे कई पते तो पेड़ो के नाम से जाने जाते है न जाने कब पते खो जाये .रामगोपाल जी मंदिर के पास सुरई घाट पर  भी इक पीपल का पेड़ हुआ करता था .पिछले साल आई बाड़ मे  बह गया .इक पीपल गोरी शंकर मंदिर के बाहर था अब वो भी गया .

अधियारा बगीचा मे पहले पेड़ो की अधिकता के कारण दिन  मे भी अँधेरा हुआ करता था ,धीरे -धीरे यहाँ का जंगल सिमटता जा रहा है 

      हटा से दमोह और दमोह से सागर सभी पेड़ो को उखाड़ फेंका गया है .गोरैया चिड़िया शायद इसलिए अब नहीं दिखती घरो के रोशनदानो को हमने बंद  कर दिया .घर के बाहर गेहू सुखाना बंद कर,गोरैया के दाना पानी के साथ अब उसके घर को भी छीन लिया

अगर सही ढंग से योजना बनाकर हाई वे  बनाया जाता तो हमारे तरुवर बच सकते थे ,दिल्ली  गुजरात  मे पेड़ो को काटे बगैर ही हाई वे बनाये जा रहे है जो देखने मे तो सुंदर है ही राहगीरों को ,मजदूरों को शरण देते है सो अलग.

Monday, August 20, 2012

श हरी कलरव

श हरी कलरव 

सुनाई देता है 
बस टेम्पो का होर्न ,ट्रेन के आवाज 
बहु मंजिल इमारतो के टूटने फूटने की दास्ताँ 
किसी घर से तेज आवाज मे बजते गाने 
दरबाजे पर  ए सी  के गर्म थपेड़ो के साथ आवाज 
यहाँ मंदिरों  मे भी सन्नाटा पसरा रहता है 
चिड़िया ,तोते ,बिल्लिया अब कहा दिखती है 
माँ अब कहा इनके साथ किसी को खेलने को कहती है 
अब तो सिन्सेन ,ओग्गी ,टॉम जेर्री हमारे साथी हो गए है 
भालू बन्दर ,गाय तो खो गए है 
नए जमाने  मे कुत्तो के ठाट हो गए है 
दादी माँ की जगह अब कहानिया टी वी  सुनाने लगा है 
चिट्टी को तो पहले हे मोबाइल मर चूका है 
अब ना तो सावन होता है न झूले पड़ते है 
न ही चोपलो पर लोग बैठते है  
फेसबुक पर   नए दोस्त रोज जुड़ते है 
पानी को नदियों से लाती पनिहारे अब कहा मिलती है 
अब तो बिसलेरी के बोत्ले घर पर ही मिलती है 

कम्पयूटर के इस युग मे तश्वीरे भी अब झूठ बोलती है 






Sunday, August 19, 2012

उप काशी हटा जहा बहती है सरिता सुनार

उप काशी हटा जहा बहती है सरिता सुनार                  

          दमोह भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। यह सागर संभाग का एक जिला और बुंदेलखंड अंचल का शहर है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के राजा नल की पत्नी दमयंती के नाम पर ही इसका नाम दमोह पड़ा। अकबर के साम्राज्य में यह मालवा सूबे का हिस्सा था. इस नगर में शिव, पार्वती एवं विष्णु की मूर्तियों सहित कई प्राचीन प्रतिमाएँ हैं। दमोह में दो पुरानी मस्जिदें, कई घाट और जलाशय हैं। दमोह का 14 वीं सदी में मुसलमानों के प्रभाव से महत्त्व बढ़ा और यह मराठा प्रशासकों का केन्द्र भी रहा। ऐतिहासिक नगर दमोह के आस-पास का इलाका पुरातत्त्व की दृष्टि से समृद्ध है।
    
   इसी जिले की इक तहसील है हटा ,इस नाम के पीछे हाट -बाजार का अपभ्रंश भी है और गोंड शासक हट्टे शाह का इतिहास भी .शहर की अपनी ही तशीर है शिक्षा ,राजनीती और व्यापर मानो  सरस्वती ,लक्ष्मी और चाणक्य की त्रिवेणी से है जो की सुनार के संगम आकर मिलती है ,
  
बनारस मे गंगा माता जैसे सारे शहर  को गोद  मे बैठाये है वैसे ही हटा मे  सुनार नदी है .नदी के किनारे ही पूरा शहर बसा है शहर को इसके मोहल्लो के नाम से जानकर लगता है की सभी देवी देवता इसी शहर मे है बिहारी जी मंदिर के पास हजारी घाट है जो यहाँ के हजारी परिवार  के नाम से जाना जाता है 

सुनार मे  आगे रामगोपाल जी वार्ड है जहा सुरई घाट है यहाँ गुरु का मंदिर प्राचीन शिव मंदिर रामगोपाल जी का दरवार है अभी अभी साईं बाबा का मंदिर भी बन गया है .ये सुनार का सबसे सुंदर घाट है मेरा बचपन इसी घाट पर खेलते हुए बीता है ,मंदिरों मे बचपन की कई यादे है 10 गज की पिच पर बनाये हजारो रन ,चोर सिपाही के खेल ,मंदिर तक की दोड़ और सबसे  ज्यादा  सुनार नदी मे सुबह से दोपहर तक का स्नान ,,मोहल्ले से चंदा जोड़कर जलाई गई होली और बजे हुए पैसो के समोसे जलेबी 
  
आगे  शीतला देवी विराजमान है इनकी शहर पर बड़ी कृपा  मानी जाती है ,आगे शमशान है इसी शमशान के किनारे महादेव शिव का प्राचीन मंदिर है ,वार्ड का नाम है गौरी शंकर ,भोले बाबा शमशान के पास क्यों विराजमान है इसके पीछे भी कई दन्त कथाये है .नगर  पालिका ने यहाँ बुन्देली मेले के लिए मंच और  मंगल कार्यो के लिए मंगल भवन बना दिया है ,हाल ही मे  माँ पीताम्बर पीठ भी स्थापित हो गयी है .यहाँ विकाश काफी तेजी से चल रहे है

 शहर के बीचो बीच माँ चंडी बिराजमान है वार्ड नाम जाहिर है चंडी जी वार्ड ही होगा यही पर गायत्री शक्ति पीठ है माँ संतोषी का मंदिर है  

इसके अलावा शहर भर मे गुजरातियों के भी मंदिर है,यहाँ थाने मे थाने का मंदिर है शहर के बीचो बीच बालाजी का मंदिर है और वार्ड नाम बालाजी बार्ड है इस मंदिर के चारो और व्यापर और शहर का कभी विकाश हुआ है 

  इसके अलावा समाज जनों के कई मंदिर  है जैसे नामदेव मंदिर कर्मा  मंदिर 

 जैनों के दो प्राचीन मंदिर भी है जो इनके प्राचीन समय से व्यापारिक और शांति प्रिये नगर होने का प्रमाण देते है ,सरकारी बस स्टैंड के पास विसाल मस्जिद है और सहर के बीच मे नीम बाले बाबा की दरगाह जहा सभी धर्म के लोग सर झुकाते है सहर का मिजाज शांति  प्रिय है 

   दशहरे पर सभी वार्डो के अखाड़े जैसे राम गोपाल जी सरकार ,बालाजी सरकार आदि सभी के आकर्षण का केंद्र होते है इन दो अखाड़ो मे  परंपरागत प्रति स्पर्धा  चलती है 

 राजनीती के तीन अखाड़े है बड़ा बाजार ,रतन बजरिया और तीन बत्ती तिगड्डा बड़ा बाजार बड़ा क्यों है पता नहीं पर रतन बजरिया सुनारों का प्राचीन बाजार है शायद रत्नों -आभूषणो के व्यापरिक केंद्र के कारन यह नाम पड़ा है .तीन बत्ती का नाम भी क्यों पड़ा मुझे पता नहीं .राजनीती की सारी विसाते यही बिछती है .दिनभर शहर के खास और आम सभी यहाँ आते जाते रहते है

      शहर मै अग्रवाल ,जैन ,सुनार ,ब्रह्मण ,राजपूत ,नेमा ,बहुत बड़ी संख्या मे है  जो इक बड़े व्यापारिक और राजनीतिक केंद्र का संकेत देते है 

 शहर ने शिक्षा और राजनीती मे भी काफी पहचान बनाई  है  कन्या स्कूल ,साइंस आर्ट  कामर्स कालेज के साथ नावोदय  भी है psc  मे शहर  का सिक्का काफी चलता है और डाक्टर इन्जेनेअर पहले से बनते आये है

  अब सुनार पर पुल बनाकर गाव और शहर की दूरी कम कर दी गयी है ,मुझे हमेश से सुनार मै पर्यटन की सम भावनाए दिखती है क्योंकि इसका सौंदर्य निराला है अभी तो शहर मे वैसा कल्चर नहीं आया है की लोग सुनार के घाट को पर्यटक की तरह देखे और और नाव पर उपकशी के मंदिरों का दर्शन लाभ ले पर आगे जरुर ऐसा होना चाहिए ये रोजगार ,पैसे और सबसे बड़ी बात शहर को इक पहचान देगा .

 रेल के लिए ये शहर काफी  दिनों से लड़ रहा है जिस दिन वो आ जायेगी वो हटा  के विकाश की नई इबारत होगी 

 हटा मे  जब भी आप प्राचीन  किले  को चीरते हुए आयेगे सुनार का तट बाहे फैलये आपका स्वागत 
करेगा 

अहमदाबाद नहीं 'अमन का शहर कहिये'

अहमदाबाद नहीं 'अमन का शहर कहिये'


       11 जून 2012 को प्रातः 7.05 बजे जब मै  इस अजनबी से शहर मे पोस्टिंग पर   आया तो तमाम पुरानी जगहों जहा  मै रह चूका था उनकी अच्छी -बुरी सब बाते दिमाक मे थी सागर बुंदेलखंड की ठसक ,मालवा के इंदौर ,उज्जैन के भोजन और मेहमान नवाजी के साथ इंदौर के रोजगार व्यापर ,और पैसा  इलाहाबादी संघर्ष दिल्ली सा दिल सभी कुछ इक ही जगह पर यदि देखना है अहमदाबाद सबसे बढ़िया है  !
    

          अमिताभ बच्चन के किसी गाने मै "तनु प्रेम करू छू " मे  पहली बार गुजराती  सुनी  थी  फिर 3 idiots मे करीना कपूर का ये कहना की "तुम गुजरती लोग इतने स्वीट होते मगर .." और जन गन मन मे तो सिंध भी है गुजरात भी !


            शहर की बसाहट बड़ी ही सुन्दर है साबरमती को अब नए तरीके से सजाया जा रहा है बढ़िया बात ये है गुजराती  लोग ये जानते ही की आपको गुजराती नहीं आती हिंदी मे बोलने लगते है!मै किसी शहर के मिजाज को वहा के ऑटो बालो चाय पान बालो के मिजाज से समझने की कोशिश करता हु ,इस मामले मे भी इस शहर मे  आपको बढ़िया लोग मिलेंगे 

     आवारागर्दी करते सिगरेट -बीडी और दारू पीते लोग यहाँ कम मिलेंगे !पर खाने पीने के मामले मे ये शहर इंदौर को पीछे छोड़ देता है यहाँ हर रोज लोगो का झुण्ड खाने पर टूट पड़ता है बड़ी बात ये है की लोग अभी भी परंपरागत भोजन ज्यादा पसंद करते है !

    सबसे बढ़िया बात है महिलाओ की आज़ादी और सुरक्षा  रात मे चोराहे पर  महिलाये बिना किसी भय के सेर सपाटे निकल जाती है.पहनावे से आमिर गरीब का पता नहीं लगया जा सकता गुजराती  लोग ऐसा लगता है की शो बजी कम ही करते है ,इक ही ठेले पर आमिर गरीब जो की उनकी कारो से पहचाने जाते  है साथ मे खाखरा ,फाफडा ,ढोकला ,खाते मिल जायेगे .
  
      चाय के साथ  नमक काली  मिर्च तुलसी पीने के प्रयोग मैंने भी किये है अहमदाबाद मे  पुदीने बाली चाय भी पीने को मिल  गयी 

    इक अजीब सी रेस ,बातावरण मे इक अजीब सा शोर सडक ट्रेन और बसों मे  लड़ते झगड़ते पब्लिक प्लेस पर गालिया बकते लोग मैंने अभी तक नहीं देखे .

    यदि पैसा और शांति दोनों चाहिए तो गाँधी जी के  इस प्रान्त मे अमन के साथ रह सकते है,यहाँ पैसा बरसता तो है पर जहा लोग प्रयास करते है ये बात अलग है की यहाँ शायद आपकी राह आसन हो जाये , !!!!!!.....

Wednesday, August 15, 2012

समय के साथ मै ऑफिसर बनता गया

समय के साथ मै ऑफिसर बनता गया 


 गलिओ मे खेलते बच्चो के साथ खेलना 
सडको पर मिलते समोसे 
सस्ती बस का सफ़र 
जनरल  से ट्रेन का सफ़र 
सस्ते खाने की खोज 
चौराहे पर दोस्तों के साथ चाय की चुस्किया 
बिन बजह किसी खास घर के चक्कर 
मोहल्ले के बड़े बूदों से बात 
गाव मे  साईकिल का सफ़र 
घर का गेहू पिसाने ,पानी भरने ,गाडी धोने का काम 
अपने कपडे धोने का काम 
घर के दरजी से सिलवाये हुए कपडे 
 ये सब  मै नहीं करता 

समय के साथ मै ऑफिसर बनता जा रहा हु 
अपनों से अपने आप से कटता जा रहा हु 

सरकारी ऑफिस की सरकारी चाल

सरकारी ऑफिस की सरकारी चाल 


   हर रात सोने से पहले कल क्या करना है सोचता हु 
   सुबह उठ कर तेजी से ऑफिस भागता हु 

   चपराशी की सलाम पाकर अपने ऑफिसर होने के शक को यकीन मे बदलता हु 
   ऑफिस की सीडिया  चदते -चदते सबको देखता हु 

   कोई बाबु कभी नज़रे चुरा लेता है कही नमस्कार न करना पड़े 
  कभी कुछ अजनबी से चेहरे आकर बेबजह ही जी हजुरी करने लगते है 

अपनी सीट पर पहुच कर पानी अख़बार पाकर मन ही मन चपराशी को धन्यबाद देता हु 
कुछ पुरानी सी फाइल देखकर घबरा उठता हु 

फाइल को कोने मे  खिसकाकर कंप्यूटर चालू करता हु 
फिर फेसबुक पर सारे  अपडेट करता हु 

घडी को देखकर लन्च  का इंतज़ार करता हु 
लंच से लोटकर इक झपकी कुर्सी पर बैठे बैठे मारता हु 

घंटी बजाकर चपराशी से बाबु को बुलबाता  हु 
सुनकर बाबु आज नहीं आया मन ही मन मुस्कुराता हु 

हज़ार बार बाबु को कोसता हु फिर सारे  सिस्टम को कोसता हु 
फिर चाय के साथ अपना गुस्सा पी जाता हु 

दिनभर की कड़ी मेहनत  के बाद फिर फेसबुक पर अपडेट करता हु 
सरकारी ऑफिस की सरकारी चाल  कोई नहीं सुधर सकता 

20 लाईक 30 कमेंट्स पाकर थैंक्स बोलकर घर आ जाता हु  
हर रात सोने से पहले कल क्या करना है सोचता