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Tuesday, March 22, 2011

शुन्यता

                         कुछ ke    पास इतना काम रहता है की वो कहते है की उनके पास सांस लेने तक का समय नहीं रहता है   मेरे कई दोस्त है जिनके पास कई तरह ke काम होते है   फ़िलहाल मे इक अजीब  सी समस्या  नहीं पर ,पता नहीं क्यों  कुछ अजीब सा लग रहा है मेरा  सेलेक्शन  हो गया है पर अभी तक जोइनिंग नहीं हुए है फ़िलहाल सेलेक्शन    हुए चार माह हो गए है    ज्वाइन नहीं हुआ है दिनभर   टी व्  देखते हुए  खाना खाने और सोने मे बीती है जब पड़ाई   करता था दिल्ली  मे तो दिन भर  पड़ाई मे  लगता  था  पर अब  इक अजीब सी शुन्यता  महसूस होती है न तो  भविष्य की  चिंता होती न ही अपने वो दिन याद  आते  जब दिन भर नोकरी की चिंता होती थी कोई मिलने आ जाता  था तो लगता ये  कब जायेगा पर अब लगता है कोई आ जाये तो कभी न जाये    इस जिन्दगी मे अजीब सी बाते होती है जब टाइम होता है तो दोस्त और  पैसा नहीं होता और जब पैसा होता है तो दोस्त और टाइम नहीं होता   kya मान लेना चाहिए ke जीवन ऐसा  ही चलना है ?    नहीं हमें हमेशा कुछ नया करना चाहिए   नहीं तो  कहते ke जंग लग जाती है सोच मे     जिन्दगी मे   दरअसल कुछ नया करना दोस्तों ke साथ घुमना   हमारी मजबूरी है क्योंकि हम व्यस्त रहकर खुद  को भूलना चाहते है जब हम केबल अपने तक सीमित हो जाते  है  तो बास्तव मे हम किसी तक नहीं  जा पाते  ना  तो अपने पास न  दूसरो  ke इकदम ख़ाली बेठने से तो अच्छा है ke हम बिना   सर पैर ke काम करे              हमें हर  हाल मे  नया करते रहना चाहिए  नयापन ही  जीबन है

Saturday, March 19, 2011

बोलो प्यारे होली है

पता नहीं कब से ये शब्द "बोलो प्यारे होली है " मेरे मोहल्ले में गूंजते _गूंजते  मेरे मुह से भी निकलने लगे  आज हमारे मोहल्ले मे  फिर छोटे -छोटे बच्चे वही शब्द बोल रहे थे    हमारे  शहर में  गली गली चोराहे पर होली जलाई जाती है वहा इक बास मे गेहू की बाले और चने के पेड़ को बाधकर जलाते है माना जाता है की यह पहली फसल का अग्नि देवता  को अर्पण होता है  होली के बीच का झंडा जिस दिशा में गिरता है बहा फसल  काफी अच्छी होती है  उसी होली से सब लोग थोड़ी सी आग घर पर ले आते जहा गोबर से बनाये गए गोल गोल बरुले जलाये जाते है उसमे थोडा सा आटा राइ से  सबकी नजर उतारी जाती है   पास में ही मंदिर मे  राइ नाच होता है जिसकी नगड़िया आवाज मेरे कानो तक पहुचती     रहती है थोड़ी  देर बाद लोगो  के झुण्ड रात मे सडको पर निकलता है और कुछ नारे लगता है  जैसे ''बोलो प्यारे होली है  , इक लकडिया दो कंडा हम होली के पंडा , होली के हुडदंग मे बब्बा बूदी तंग  मे ,इत्तो अंडा कए को आल को जो कोई -- की लुगाई को --ने बोले --को   अगले दिन धुरेडी होती है जिसमे सारा शहर  रंगों से सरोबर हो जाता है -----------------बोलो प्यारे होली है |

Wednesday, March 16, 2011

नाक मे मूंगफली

   आज इक  अजीब घटना मेरे भतीजे ने की   खेलते -खेलते उसने अपनी नाक मे मुन्फाली दाल दी  दोड़कर डाक्टर के पास ले गया  डाक्टर  ने काफी प्रयाश किया पर काफी कोशिश के बाद वह न निकल न पाई और कई लोगो ने कई पुराने केश भी सुनाये किशी ने कहा की इक बच्चे ने नाक मे कांच दल लिया था   तो इक़ ने बताया की किसी ने चना तो किसी ने चूड़ी का टुकड़ा डाल लिया था   इक़ बात नहीं समझ सका की ये बच्चे हर बो कम क्यों कर जाते जिसे  करने मे हम डरते है    !!!!    शायद बच्चो मे उस तरह का दर नहीं होता जिस तरह का हमारे भीतर  करता है   हम तो  हर छोटी बात बात को लाख बार सोचते है फिर करते है   !!!!!    यदि जीबन को जीना है जिंदगी की तरह तो हमें    डरना छोड़ना होगा पर क्या हम ऐसा कर सकते है    शायद नहीं !!!!!

Tuesday, March 15, 2011

नशा मुक्ति से नशा प्राप्ति तक

 आज  मेरे मित्र सत्यावेंद्र सिंह ने  बड़ा कार्यक्रम आयोजित करवाया था जिसमे धर्म के साथ इक बात और थी उसमे नशा मुक्ति का भी प्रण लिया गया और प्रण करने बालो को लाल रंग की पट्टी गले मे डालकर कसम खिलाई गई के बे अब दोबारा    नशा नहीं करेंगे  काफी अच्छा प्रयाश  रहा  हालंकि इस कार्यक्रम के जो सूत्रधार थे उनके नाम जब जय कारे लगाये गए तो मेरे साथ कई लोगो को  आश्चर्य हुआ की भगवन और इंशान के बीच मे इक इन्सान भगवन बनकर क्यों  आ गया   उसी संघटन के कई लोगो ने बाद मे इन्ही सब चीजो का खंडन कर कहा की गुरूजी सभी के है और सब मे बसते है पर कई लोगो क बात हज़म नहीं हो पाई  खेर कार्यक्रम सफल कहा जा सकता है क्योंकि कई लोगो ने नशा मुक्ति का प्रण लिया है   हालंकि इक नशा पिलया जा रहा था   यह नशा फिर   धर्म का था   नए धर्म और नए इश्वर का था कभी भी भगवन मानव को कस्ट नहीं देना चाहता है पर कस्ट तो होना ही है आजकल  गाव मे  कस्ट निबारण का इक आन्दोलन सा  चल पड़ा है कई  तरह के भगवन देवता देवदूत और संत पैदा हो गए है कई के बारे मे हम कई ता रह की शर्मनाक और   शर्मनाक घटनायो को सुनते है देखते तो मन मे उ नके प्रति कुछ संकाए  भी पैदा होती है   कही  कही तो इनका उद्देश्य राजनीतिक तक हो जाता है खेर  धोडे पैसे खर्च करवाकर ये तथाकथित  संत नशा मुक्ति और कस्ट निबारण का नशा देकर कुछ भी  गलत नहीं करते है   क्या मे सच कह रहा हु

Sunday, March 13, 2011

समय बिताने के लिए करना है कुछ काम

  जीवन के  लिए काम  कितना जरुरी है अब पता चलने लगा है |  कई अवसरों पर  हम देखते है की  बच्चे सबसे कम परेशां होते है  क्योंकि हर दम   काम करते बो बिना सर पैर के काम करते   मतलब हर दम ब्यस्त रहते है और मस्त रहते है | हम फिर अपने कॉलेज मे पहुचते है और फिर हम परेशां होने  लगते है क्योंकि हम कुछ सपने बुनने  लगते  उन्हें पाने के कोशिश करने लगते है पर   हम हमेशा सपनो और  हकीकत मे काफी अंतर पाते है   और कस्ट महसूस  करते है शायद  बड़े लोग सबसे ज्यादा परेशां होते है इसका कारन ये है की उनके पास कोई कम नहीं होता बो  हमेशा बोर होते है उनके पास दो चार कम रह जाते जैसे सब्जी लाना   या फिर किसी पूरानी बस्तुओ  से कुछ ऐसा खोज लेना  जो उन्हें लगता  है काफी उपयोगी है उसमे अपने गोरवशाली अतीत   को खोजना   उसमे कुछ ऐसा  खोजना जिससे उनकी  बुध्धिमात्ता का प्रकट हो जाये कुछ बाते हमें बिना सर पैर  के लगेगी तो कई जगह       हमें  लगता है हम इनसे कई  कदम आगे है पर  कदम      का क्या  जो आज आगे है वो कल पीछे हो सकता है
                                      आजकल जो   फिल्म टी.वी    आदि का प्रचार  हो रहा है उसका कारन शायद यही है की हमारे पास समय  बिताने  के लिए कुछ काम नहीं होता   हम इन्टरनेट का  का विकाश  करते है  हम sach  मे  नहीं judte      हम हमेशा apno  से और अपने aap से  tak door  रहते है 
    

Sunday, March 6, 2011

कम है


लग रह है अब सब कुछ ख़तम हो गया है शायद मैंने वो खो दिया है जो मै इस जीबन मे कम से कम बीस साल नहीं और शायद इस जीबन मे तो कभी भी नहीं पा सकता   हे भगबान अगली बार मुझे फिर भारत मे  जन्म देना मे अपनी  कसम पूरी करना चाहता हु  नहीं तो मेरी आत्मा को शांति  नहीं मिलेगी   
                               मै मानता हु  की हमेशा की  तरह इस बार फिर मुझमे कुछ कामिया होगी पर अब क्या करू मेरे पास तो अब अपने आप को सुधरने का अवसर ही  नहीं रह गया     इस अवसर को खोने का गम तो है ही    जीबन के पिछले दस साल हर पल मेरी आँखों के सामने से हर पल गुजरते रहते है कभी  किसी अधिकारी को  रोब दिखाते देखता हु या फिर किसी को परेशां होते देखता हु तो बस यही लगता है की मै क्यूँ   कुछ  नहीं कर पाया
                                         कभी कभी इक ही  पल मे  मेरा सारा इतिहास मेरी आँखों सामने से गुज़र जाता  है साथ hee  यह भयानक  सच  की मै अब वो नहीं कर पाउँगा  
 अपनी अम्मा  पापा से यह  कह सकू  जो मै चाहता था वो  मैंने पा लिया   

                        जितने  आंसू आँखों से बहते दीखते है उससे भी ज्यादा  दो तो दिल मै ही  सूख जाते है ऐसे समय  मै रुलाने बाले भी कई जगह मिलेगे   पर उन्हें तो पता ही नहीं की मेरे साथ  क्या  हो गया है

       १० साल  के बाद  मै बो पद नहीं पा सका जो मैंने चाही फिर आज इक पोस्ट है   फिर हर कोई मुझसे से कहता की तुम्हारी   कोशिश कम थी       क्या बो सच कहता है     इक छोटी सी पोस्ट की खोज   के साथ शुरू हुआ सफर इक बड़ी पोस्ट के कोशिश मै इक छोटी पोस्ट पर  ख़त्म हो गया
              मुझे हर बो इन्सान याद आ रहा  है जिसे मैंने अपनी पढाई के   कारन नजर अंदाज किया हर वो त्यौहार जो एक्साम  के  कारन  छोड़   दिया        कोई  मेरा बीता हुआ समय लोटा सकता है  ?       नहीं           
         क्या आई ए  एस  बन्ने के  लिए इक जीबन कम है ????