कुछ ke पास इतना काम रहता है की वो कहते है की उनके पास सांस लेने तक का समय नहीं रहता है मेरे कई दोस्त है जिनके पास कई तरह ke काम होते है फ़िलहाल मे इक अजीब सी समस्या नहीं पर ,पता नहीं क्यों कुछ अजीब सा लग रहा है मेरा सेलेक्शन हो गया है पर अभी तक जोइनिंग नहीं हुए है फ़िलहाल सेलेक्शन हुए चार माह हो गए है ज्वाइन नहीं हुआ है दिनभर टी व् देखते हुए खाना खाने और सोने मे बीती है जब पड़ाई करता था दिल्ली मे तो दिन भर पड़ाई मे लगता था पर अब इक अजीब सी शुन्यता महसूस होती है न तो भविष्य की चिंता होती न ही अपने वो दिन याद आते जब दिन भर नोकरी की चिंता होती थी कोई मिलने आ जाता था तो लगता ये कब जायेगा पर अब लगता है कोई आ जाये तो कभी न जाये इस जिन्दगी मे अजीब सी बाते होती है जब टाइम होता है तो दोस्त और पैसा नहीं होता और जब पैसा होता है तो दोस्त और टाइम नहीं होता kya मान लेना चाहिए ke जीवन ऐसा ही चलना है ? नहीं हमें हमेशा कुछ नया करना चाहिए नहीं तो कहते ke जंग लग जाती है सोच मे जिन्दगी मे दरअसल कुछ नया करना दोस्तों ke साथ घुमना हमारी मजबूरी है क्योंकि हम व्यस्त रहकर खुद को भूलना चाहते है जब हम केबल अपने तक सीमित हो जाते है तो बास्तव मे हम किसी तक नहीं जा पाते ना तो अपने पास न दूसरो ke इकदम ख़ाली बेठने से तो अच्छा है ke हम बिना सर पैर ke काम करे हमें हर हाल मे नया करते रहना चाहिए नयापन ही जीबन है
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