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Sunday, November 14, 2010

कुछ होने का मतलब

कुछ होने का मतलब क्या है कभी कभी सोचता हु की मेरे साथ सब कुछ और कभी लगता है कुछ नहीं मुझे नहीं पता की मै क्यों खुश नहीं हू  मेरइ जीवन मै सभ कुछ आया और गया पर पता नहीं कभी कुशी वैसे महसूश नहीं हुई जैसे के होना चाहीए मेरे पास मेरे अपने है पर मेरा कोई नहीं इक अजीब सी उलझन है क्या करू क्या न करू मुझे आखिर क्या और क्यों करना चाहिए मुझे पता नहीं 

Tuesday, April 13, 2010

teen sal

तीन साल कैसे निकल गए पता ही नहीं चला तो ये पता चला की मै    वही का वही हु पता नहीं क्यों मैंने जो सोचा था वो नहीं हुआ  या फिर मैंने जो होना था वो सोचा ही नहीं    कभी कभी हमारे अपने कारण  हमसे इतने अनजाने हो जाते है की हमें पता ही नहीं होता की वो हमरे साथ हो रहा है . कभी तो ये वि लगता है की जिन्दगी की किताब कितनी आसान है  तो कभी कभी लगता है की मैंने क्या समझा है अभी तक
                                          मैंने  अपने जीवन को दिशा देने के लिए  के  लिए  आई ए एस, पी सी एस  के तय्यारी की और मै interveiw  मै शामिल हुआ तीन interveiw  मै इक बात सामान थी मेरी तबियत बिगड़ जाना वो भी इक जैसे   मुझे पिछले तीन साल से सर्दी खांसी इसी दिन क्यों होता है कई लोग कहते की nervousness  है तो कई कहते है की भाग्य  पर मुझे कुछ भी पता नहीं ये क्या होता है    
                                          मै नहीं जनता की ये अच्छा है या बुरा पर मै इतना जनता हु की मै इस सब काफी दुखी हु   अन्तः मन हमेशा ही  कहता रहता है की मैंने ऐसा क्या किया की मेरा  जीवन मरण इक छोटी सी बात के कारण प्रभाबित हो जाये मै नहीं जनता की मै क्या कह रहा हु पर इतना सत्य है की मै और मेरी नाकामयाबी  का इससे गहरा सम्बन्ध है
                                 आज मेरा इतिहास मुझसे ही सबाल करना चाहता है की बता  तू क्या कर लेगा तू कितनी कोशिश कर मेरी तो अपनी ही गति है उसी के अनुसार चलूँगा तुझे जो करना हो कर ले तुम मुझे नहीं लिख सकते मै तुम्हारे जीवन मै लिख दूंगा इक और असफलता!!!!! 

Friday, April 9, 2010

blogging ik timepass to nahi

सोच का बदलना अच्छा माना जाता है कहा तो यह भी जाता है की" बदलाव   हमारी प्रगति की निशानी  होती है "हम न भी बदले
समय तो बदल ही जाता  .है इसे कार्ल्स  मार्क्स ने'' नवीनता की अबिजेयता   कहा है'' पर हमने देखा की लोकतंत्र के मोहरे हर साल  बदल जाती है पर विषद  वाही रहती है हर पञ्च साल मै  इक सरकार आती है भी  वोहि बाते  कसमे पता नहीं क्यों नहीं बदलती ये सरकारे  हम भी तो नहीं बदलना चाहते अपना स्वभाव अपनी नियति  हम क्यों मूक दर्शक  रहते है   क्यों जो बात   ब्लोग्ग पर कहते है चौराहे पर कहने से डरते है शायद  इसी कापरिणाम  की देश की samshyaya ज्यो की त्यों  है   आम आदमी दिनभर का गुस्सा बीबी पर   अफसर अपने अधिनस्त पर   और  अधिनास्त्थ आम जनता पर अपना गुस्सा बया कर देता है      और हम जैसे ब्लोगेर  जिनके पास कंप्यूटर है इन्टरनेट है खली   दिमाग है  ब्लोग्ग लिखकर आत्मसंतुष्टि के अलाबा कुछ नहीं करते

Wednesday, April 7, 2010

naxalism नक्सलबाद

 नक्सलबाद इक भटका हुआ आन्दोलन है गांधीजी का मत था की "साधन और साध्य दोनों की पवित्रता होना जरुरी है." पर नक्सली के साधन घोर निंदनीय है अब तो मुझे ये लगता है ki नक्सली अपने व्यक्तिगत हितो को ज्यादा तबज्जो दे रहे है.  यह हमारी खुफिया तंत्र की, सरकार की, और  पुलिस के निकम्मेपन की मिशाल है. रही बात समस्या के समाधान की तो जिस राह नक्सली चल रहे है उससे कुछ होना-जाना नहीं .सरकार को भी भ्रस्टाचार हटाने और रोजगार बढाने के गंभीर प्रयाश करना होंगे   क्योंकि ये बात तो पक्की है नक्सलबाद की जड़े है तो आखिर  बिषमता मै  फिर भी ये  तो समझना होगा की आदिबसियो के नाम पर कोई और अपनी रोटिया न सेंके   जो भी हो आदीबाशी  कुआ और खाई के बीच मै है ....... उचित शिक्षा रोजगार और प्रशाशन का सहयोगी रवैया ही  आदिवासियो के मन  मै बैठी सरकार की नकारात्मक छवि को समाप्त कर नक्सलबाद को समाप्त कर सकती है .........

Sunday, April 4, 2010

हमारी आवाज़

हमारी आवाज़ !!!     है कोई सुनने बाला ! नहीं कोई नहीं है साहब  सुचना का अधिकार तो सबको  जानने  का हक़ देता है ? तो क्या कर लोगे? नहीं देते सुचना बूचना !जाओ सरकार के  पास  साहब आप ही तो सरकार हो! नहीं हम सरकारी ऑफिसर है !!!  मगर   आप तो लोक सेवक है न ! फिर ऑफिसर क्यों ? ज्यादा  दिमाक लगाता है   कभी मंत्री से पूछा  है की वो जन प्रतिनिधि से सरकार के प्रतिनिधि कैसे बन गए ???  बेचारा आम आदमी कुछ नहीं समझ पाता की सरकार कौन है? किसकी है? किसके लिए है  ???

sambedna

कभी कभी  हम ;ऐसी कोई बात सोचते है 'जो सामने  वाला भी सोच रहा होता  है जैसे दो लोग इक ही चीज से डर रहे हो पर उनमे से  कोई इक पहले अपना डर बता दे  [ हम   खुद भी उससे डर रहे हो तो  ] ; हम तुरंत उससे  कहेगे की भी तुम तो बड़े डर पोंक हो मगर अंदर की बात तो यही है हमने   अपनी  कमजोरी को किसी और  के सर पर फोड़ दिया  शायद मैंने आज ऐसा ही किया मै किसी कारण से किसी से  मिलना नहीं  चाह रहा था पर मैंने जब  जान लिया की वो  भी  मुझसे नहीं मिलना चाह रहा है. तो मैंने न मिलने का  सारा दोष उसी पर डाल दिया. मै इकदम गलत था पर मै इसी बात पर अपने दोस्त से नाराज  हो गया  की वो  मुझसे   मिलने क्यों नहीं आया     लगता है मैंने गलती की है मुझे उससे गुस्सा नहीं होना चाहिए था  

Saturday, April 3, 2010

sambandho ka dayra

हर इक सितम का जबाब हमने आशुओ से दिया
उसने मेरी इसी आदत को अपनी आदत  बना लिया
न रहा हमारा दायरा हम तक
तुम भी हो गए सीमित मुझ तक

सबको शिक्षा
      मुन्नी जो कल तक तक अपने स्कूल क बैग को  अलदीन का चिराग समझती थी अचानक
 उससे डरने लगी  कहती है माँ मै स्कूल नहीं जाउंगी  मास्टर जी कहा की तुम जैसे लोग सरकारी स्कूल की गंदगी मै  ही अच्छे लगते हो  प्राइवेट स्कूल तो तुम्हे मजबूरी मै  देना पद रहा है

Friday, April 2, 2010

शिक्षा का अधिकार

बड़े जोर शोर सरकार ने सभी को शिक्षा देने का कानून पास तो कर दिया पर पता नहीं क्यों? लगता नहीं की सरकार की मंशा सही न हो? पता सभी को हैसरकार की योजना तो बड़ी अच्छी होती है पर नोकर शाही का जाल और शिक्षको का आकाल इस उम्दा से कानून का क्या हालकरेगी किसी से नहीं छुपा है पर हाथ पर हाथ रखने से कुछ नहीं हो जाता प्रयाश तो करना ही होगा नहीं तो हम नोकरशाही और सरकार को दोषी कहने का हक़ भी खो देंगे

ब्लॉग पर ब्लॉग पड़ना

कई दिनों से इक सौक था क मेरा ब्लॉग भी कोई पड़े पर लाख कोह्सिश क बाद न तो मेरा ब्लॉग ब्लोग्बानी ए रहा न मै उसे कोई व् पद रहा है खेर मेरा इंटर बिऊ है तो सोचा की अपनी होबी को अपडेट कर लेना बेहतर होगा पर ऐसा न हो सका फिर भी मै प्रयाश कर रहा हु पता नहीं क्या होगा इंटर बिऊ का यही सोच रह हु पर जनता हु की कोई व् इस समय मेरा डर दूर नहीं कर सकता क्योंकि मुझे सब कुछ कोचना होगा क्योंकि यह मेरा अपना अपना था जो मैंने बरसो से सजा रखा था की मै आई ए एश बनुगा शायद मेरा ख्वाब हकीकत मै बदल जाये

Wednesday, March 31, 2010

इंटर व्यूव

कई दिनों की महनत का परिणाम है हमारा संघ लोक सेवा आयोग का इंटर विउव पर पट नहीं क्यों हम जब वह से लोटते है तो लगता है की किसी ने जैसे हमें ठग लिया हो पर क्या करे हमें तो अच्छी सोच क साथ आगे बदना है और बताना की हम कितने अच्छी पेर्सोनालिटी वाले है

Monday, March 29, 2010

beautyculture.

कई बार हमारे आसपास कुछ एषा बातें होती रहती हालचाल जिनके मायने काफी गहरे होते पर हम उन्क्की गहरे को नाप पते और सोचते हालचाल की ऐसे हे सब हो रहा हैबात डेल्ही मेट्रो मै लडकियो द्वारा की जा रही चर्चा की है वो काररीएर जैसे जरुरी सवाल की इक लड़की ने अपना पलान्न बताया की फैशन केलिए कम करेगी मगरदुसरी लडकी का मत था वो मत करना क्योकि ये तो आजकल बोटी कल्चर बन गया है ? है न मजेदार बात क लोगो क कहने से अपना भविष्य वि दाव लगा सकते है ****जीवनी***

Friday, February 12, 2010

मेरा पहला ब्लॉग

कल तक जिसके बारे मै डर लगता था सोचने मै ?आज जब वोही मेरे साथ हुआ शायद सभी सोचे धोखा नहीं पर ये सच्चाई है