तीन साल कैसे निकल गए पता ही नहीं चला तो ये पता चला की मै वही का वही हु पता नहीं क्यों मैंने जो सोचा था वो नहीं हुआ या फिर मैंने जो होना था वो सोचा ही नहीं कभी कभी हमारे अपने कारण हमसे इतने अनजाने हो जाते है की हमें पता ही नहीं होता की वो हमरे साथ हो रहा है . कभी तो ये वि लगता है की जिन्दगी की किताब कितनी आसान है तो कभी कभी लगता है की मैंने क्या समझा है अभी तक
मैंने अपने जीवन को दिशा देने के लिए के लिए आई ए एस, पी सी एस के तय्यारी की और मै interveiw मै शामिल हुआ तीन interveiw मै इक बात सामान थी मेरी तबियत बिगड़ जाना वो भी इक जैसे मुझे पिछले तीन साल से सर्दी खांसी इसी दिन क्यों होता है कई लोग कहते की nervousness है तो कई कहते है की भाग्य पर मुझे कुछ भी पता नहीं ये क्या होता है
मै नहीं जनता की ये अच्छा है या बुरा पर मै इतना जनता हु की मै इस सब काफी दुखी हु अन्तः मन हमेशा ही कहता रहता है की मैंने ऐसा क्या किया की मेरा जीवन मरण इक छोटी सी बात के कारण प्रभाबित हो जाये मै नहीं जनता की मै क्या कह रहा हु पर इतना सत्य है की मै और मेरी नाकामयाबी का इससे गहरा सम्बन्ध है
आज मेरा इतिहास मुझसे ही सबाल करना चाहता है की बता तू क्या कर लेगा तू कितनी कोशिश कर मेरी तो अपनी ही गति है उसी के अनुसार चलूँगा तुझे जो करना हो कर ले तुम मुझे नहीं लिख सकते मै तुम्हारे जीवन मै लिख दूंगा इक और असफलता!!!!!
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