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Thursday, August 23, 2012

न पेड़ रहे न गोरैया

न पेड़ रहे न गोरैया 

       बचपन से ही काँटी हटा दमोह ,और सागर आना -जाना लगा ही रहता था जब हटा से काँटी जाता तो रस्ते के पेड़ गिनता जाता था  गाव शहर के लोग पेडो से जुडी कई कहानिया भी सुनते थे . रस्ते मे  कोई परिचित मिल जाये तो पल दो पल पेड़ के नीचे ठहरकर हाल चाल भी जान लेते थे 

बड़े अस्पताल से काँटी तरफ जाने पर हमारे पुरखो की तरह कई पुराने पेड़ खड़े रहते थे पुल के पास के पेड़ देखकर घर के पास हटा आने का अहसास होने लगता था 
   
इस बार राखी पर घर गया तो देखा की जिन बड़े बड़े पेड़ो  को मैं लगभग 25 साल से देखता आ रहा था अचानक गायब हो गए ,बाद मे  पता चला की हाई वे बन रहा है इस लिए उनको काट  दिया गया .जिन लोगो  के पास कार  मोटर साइकिल नहीं है उनको छाव देने बाले पेड़ अब नहीं रहे .हटा शहर के अधिकांश लोग सुबह -सुबह सैर पर यही आते थे .अब शहर मे  सैर सपाटे के लिए जगह ही नहीं रही .गंगा झिरिया अब कालोनी बन चुकी है .
   
हटा शहर मे कई पते तो पेड़ो के नाम से जाने जाते है न जाने कब पते खो जाये .रामगोपाल जी मंदिर के पास सुरई घाट पर  भी इक पीपल का पेड़ हुआ करता था .पिछले साल आई बाड़ मे  बह गया .इक पीपल गोरी शंकर मंदिर के बाहर था अब वो भी गया .

अधियारा बगीचा मे पहले पेड़ो की अधिकता के कारण दिन  मे भी अँधेरा हुआ करता था ,धीरे -धीरे यहाँ का जंगल सिमटता जा रहा है 

      हटा से दमोह और दमोह से सागर सभी पेड़ो को उखाड़ फेंका गया है .गोरैया चिड़िया शायद इसलिए अब नहीं दिखती घरो के रोशनदानो को हमने बंद  कर दिया .घर के बाहर गेहू सुखाना बंद कर,गोरैया के दाना पानी के साथ अब उसके घर को भी छीन लिया

अगर सही ढंग से योजना बनाकर हाई वे  बनाया जाता तो हमारे तरुवर बच सकते थे ,दिल्ली  गुजरात  मे पेड़ो को काटे बगैर ही हाई वे बनाये जा रहे है जो देखने मे तो सुंदर है ही राहगीरों को ,मजदूरों को शरण देते है सो अलग.

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