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Sunday, August 19, 2012

उप काशी हटा जहा बहती है सरिता सुनार

उप काशी हटा जहा बहती है सरिता सुनार                  

          दमोह भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। यह सागर संभाग का एक जिला और बुंदेलखंड अंचल का शहर है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के राजा नल की पत्नी दमयंती के नाम पर ही इसका नाम दमोह पड़ा। अकबर के साम्राज्य में यह मालवा सूबे का हिस्सा था. इस नगर में शिव, पार्वती एवं विष्णु की मूर्तियों सहित कई प्राचीन प्रतिमाएँ हैं। दमोह में दो पुरानी मस्जिदें, कई घाट और जलाशय हैं। दमोह का 14 वीं सदी में मुसलमानों के प्रभाव से महत्त्व बढ़ा और यह मराठा प्रशासकों का केन्द्र भी रहा। ऐतिहासिक नगर दमोह के आस-पास का इलाका पुरातत्त्व की दृष्टि से समृद्ध है।
    
   इसी जिले की इक तहसील है हटा ,इस नाम के पीछे हाट -बाजार का अपभ्रंश भी है और गोंड शासक हट्टे शाह का इतिहास भी .शहर की अपनी ही तशीर है शिक्षा ,राजनीती और व्यापर मानो  सरस्वती ,लक्ष्मी और चाणक्य की त्रिवेणी से है जो की सुनार के संगम आकर मिलती है ,
  
बनारस मे गंगा माता जैसे सारे शहर  को गोद  मे बैठाये है वैसे ही हटा मे  सुनार नदी है .नदी के किनारे ही पूरा शहर बसा है शहर को इसके मोहल्लो के नाम से जानकर लगता है की सभी देवी देवता इसी शहर मे है बिहारी जी मंदिर के पास हजारी घाट है जो यहाँ के हजारी परिवार  के नाम से जाना जाता है 

सुनार मे  आगे रामगोपाल जी वार्ड है जहा सुरई घाट है यहाँ गुरु का मंदिर प्राचीन शिव मंदिर रामगोपाल जी का दरवार है अभी अभी साईं बाबा का मंदिर भी बन गया है .ये सुनार का सबसे सुंदर घाट है मेरा बचपन इसी घाट पर खेलते हुए बीता है ,मंदिरों मे बचपन की कई यादे है 10 गज की पिच पर बनाये हजारो रन ,चोर सिपाही के खेल ,मंदिर तक की दोड़ और सबसे  ज्यादा  सुनार नदी मे सुबह से दोपहर तक का स्नान ,,मोहल्ले से चंदा जोड़कर जलाई गई होली और बजे हुए पैसो के समोसे जलेबी 
  
आगे  शीतला देवी विराजमान है इनकी शहर पर बड़ी कृपा  मानी जाती है ,आगे शमशान है इसी शमशान के किनारे महादेव शिव का प्राचीन मंदिर है ,वार्ड का नाम है गौरी शंकर ,भोले बाबा शमशान के पास क्यों विराजमान है इसके पीछे भी कई दन्त कथाये है .नगर  पालिका ने यहाँ बुन्देली मेले के लिए मंच और  मंगल कार्यो के लिए मंगल भवन बना दिया है ,हाल ही मे  माँ पीताम्बर पीठ भी स्थापित हो गयी है .यहाँ विकाश काफी तेजी से चल रहे है

 शहर के बीचो बीच माँ चंडी बिराजमान है वार्ड नाम जाहिर है चंडी जी वार्ड ही होगा यही पर गायत्री शक्ति पीठ है माँ संतोषी का मंदिर है  

इसके अलावा शहर भर मे गुजरातियों के भी मंदिर है,यहाँ थाने मे थाने का मंदिर है शहर के बीचो बीच बालाजी का मंदिर है और वार्ड नाम बालाजी बार्ड है इस मंदिर के चारो और व्यापर और शहर का कभी विकाश हुआ है 

  इसके अलावा समाज जनों के कई मंदिर  है जैसे नामदेव मंदिर कर्मा  मंदिर 

 जैनों के दो प्राचीन मंदिर भी है जो इनके प्राचीन समय से व्यापारिक और शांति प्रिये नगर होने का प्रमाण देते है ,सरकारी बस स्टैंड के पास विसाल मस्जिद है और सहर के बीच मे नीम बाले बाबा की दरगाह जहा सभी धर्म के लोग सर झुकाते है सहर का मिजाज शांति  प्रिय है 

   दशहरे पर सभी वार्डो के अखाड़े जैसे राम गोपाल जी सरकार ,बालाजी सरकार आदि सभी के आकर्षण का केंद्र होते है इन दो अखाड़ो मे  परंपरागत प्रति स्पर्धा  चलती है 

 राजनीती के तीन अखाड़े है बड़ा बाजार ,रतन बजरिया और तीन बत्ती तिगड्डा बड़ा बाजार बड़ा क्यों है पता नहीं पर रतन बजरिया सुनारों का प्राचीन बाजार है शायद रत्नों -आभूषणो के व्यापरिक केंद्र के कारन यह नाम पड़ा है .तीन बत्ती का नाम भी क्यों पड़ा मुझे पता नहीं .राजनीती की सारी विसाते यही बिछती है .दिनभर शहर के खास और आम सभी यहाँ आते जाते रहते है

      शहर मै अग्रवाल ,जैन ,सुनार ,ब्रह्मण ,राजपूत ,नेमा ,बहुत बड़ी संख्या मे है  जो इक बड़े व्यापारिक और राजनीतिक केंद्र का संकेत देते है 

 शहर ने शिक्षा और राजनीती मे भी काफी पहचान बनाई  है  कन्या स्कूल ,साइंस आर्ट  कामर्स कालेज के साथ नावोदय  भी है psc  मे शहर  का सिक्का काफी चलता है और डाक्टर इन्जेनेअर पहले से बनते आये है

  अब सुनार पर पुल बनाकर गाव और शहर की दूरी कम कर दी गयी है ,मुझे हमेश से सुनार मै पर्यटन की सम भावनाए दिखती है क्योंकि इसका सौंदर्य निराला है अभी तो शहर मे वैसा कल्चर नहीं आया है की लोग सुनार के घाट को पर्यटक की तरह देखे और और नाव पर उपकशी के मंदिरों का दर्शन लाभ ले पर आगे जरुर ऐसा होना चाहिए ये रोजगार ,पैसे और सबसे बड़ी बात शहर को इक पहचान देगा .

 रेल के लिए ये शहर काफी  दिनों से लड़ रहा है जिस दिन वो आ जायेगी वो हटा  के विकाश की नई इबारत होगी 

 हटा मे  जब भी आप प्राचीन  किले  को चीरते हुए आयेगे सुनार का तट बाहे फैलये आपका स्वागत 
करेगा 

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