Pages

Sunday, August 19, 2012

अहमदाबाद नहीं 'अमन का शहर कहिये'

अहमदाबाद नहीं 'अमन का शहर कहिये'


       11 जून 2012 को प्रातः 7.05 बजे जब मै  इस अजनबी से शहर मे पोस्टिंग पर   आया तो तमाम पुरानी जगहों जहा  मै रह चूका था उनकी अच्छी -बुरी सब बाते दिमाक मे थी सागर बुंदेलखंड की ठसक ,मालवा के इंदौर ,उज्जैन के भोजन और मेहमान नवाजी के साथ इंदौर के रोजगार व्यापर ,और पैसा  इलाहाबादी संघर्ष दिल्ली सा दिल सभी कुछ इक ही जगह पर यदि देखना है अहमदाबाद सबसे बढ़िया है  !
    

          अमिताभ बच्चन के किसी गाने मै "तनु प्रेम करू छू " मे  पहली बार गुजराती  सुनी  थी  फिर 3 idiots मे करीना कपूर का ये कहना की "तुम गुजरती लोग इतने स्वीट होते मगर .." और जन गन मन मे तो सिंध भी है गुजरात भी !


            शहर की बसाहट बड़ी ही सुन्दर है साबरमती को अब नए तरीके से सजाया जा रहा है बढ़िया बात ये है गुजराती  लोग ये जानते ही की आपको गुजराती नहीं आती हिंदी मे बोलने लगते है!मै किसी शहर के मिजाज को वहा के ऑटो बालो चाय पान बालो के मिजाज से समझने की कोशिश करता हु ,इस मामले मे भी इस शहर मे  आपको बढ़िया लोग मिलेंगे 

     आवारागर्दी करते सिगरेट -बीडी और दारू पीते लोग यहाँ कम मिलेंगे !पर खाने पीने के मामले मे ये शहर इंदौर को पीछे छोड़ देता है यहाँ हर रोज लोगो का झुण्ड खाने पर टूट पड़ता है बड़ी बात ये है की लोग अभी भी परंपरागत भोजन ज्यादा पसंद करते है !

    सबसे बढ़िया बात है महिलाओ की आज़ादी और सुरक्षा  रात मे चोराहे पर  महिलाये बिना किसी भय के सेर सपाटे निकल जाती है.पहनावे से आमिर गरीब का पता नहीं लगया जा सकता गुजराती  लोग ऐसा लगता है की शो बजी कम ही करते है ,इक ही ठेले पर आमिर गरीब जो की उनकी कारो से पहचाने जाते  है साथ मे खाखरा ,फाफडा ,ढोकला ,खाते मिल जायेगे .
  
      चाय के साथ  नमक काली  मिर्च तुलसी पीने के प्रयोग मैंने भी किये है अहमदाबाद मे  पुदीने बाली चाय भी पीने को मिल  गयी 

    इक अजीब सी रेस ,बातावरण मे इक अजीब सा शोर सडक ट्रेन और बसों मे  लड़ते झगड़ते पब्लिक प्लेस पर गालिया बकते लोग मैंने अभी तक नहीं देखे .

    यदि पैसा और शांति दोनों चाहिए तो गाँधी जी के  इस प्रान्त मे अमन के साथ रह सकते है,यहाँ पैसा बरसता तो है पर जहा लोग प्रयास करते है ये बात अलग है की यहाँ शायद आपकी राह आसन हो जाये , !!!!!!.....

No comments:

Post a Comment