Pages

Thursday, January 6, 2011

आधुनिकता बनाम परंपरा

  समाज और देश के साथ इक बात हमेशा सच होती है| और होनी चाहिए  के वे  कभी भी जड़ नहीं हो सकते उन्हें देश काल के अनुसार हमेशा बदलते रहना चाहिए  नहीं तो समाज भी  टूट  सकता है | और देश भी इक सामान्य सी बात है आखिर हम कहा जाना चाहते है हम अपनी परम्पराए बचाए   के अपने भविष्य को सम्हाले hamara भविष्य क्या है  हम अपनी पीड़ी को यदि आगे ले जा चाहते है तो  हमें कुछ नया करना होगा
                                       प्रेम और इससे जुड़े जितने भी पहलू है उन सब  मै हमेशा परंपरा  और आधुनिकता का बिबाद रहा है खेर समाज और परिबार दोनों अलग अलग नहीं है पर अलग अलग हो जाते है  यही पर विबाद है आखिर हमें किश्के साथ चलना है मेरे लिए न तो परिबार छोटा है न प्रेम पर  मै प्रेम को परिवार  के नाम पर कुर्बान नहीं कर सकता

No comments:

Post a Comment