हम हमेशा अपने आप से भागते क्यों है |हम अपनी और उठने बाले सबालो के जबाब तलाशने के बजाये उन सबलो को अनदेखा क्यों कर देते है | हम हर जगह क्यों कुछ नया चाहते है | हमारी जिन्दगी बेसी नहीं होती जेसी हम सोचते है | हम अपनी जिन्दगी के कुछ खालीपन को कम करते है मगर फिर हर जगह खालीपन आ जाता ये जीबन ऐसे हे चलना है कभी किशी की तलाश मै कुछ खोजना और कभी अपनी तलाश मै अपने आप को भूल जाना |क्या ?इशी का नाम जिन्दगी है ?
मेरे साथ साथ मै नहीं अकेला तुम भी
हो पर जगह मै हे रह जाता हू अकेला
मेरी जिन्दगी शुरू तुम से और जाती है सिर्फ तुम तक
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